Friday 13 January 2012

 जय गुरुदेव नाम प्रभु का !

विश्व के जिन जिन सन्तों ने उस परम अध्यात्मिक पद की प्राप्ति है उन सबका सामान्य मत "संतमत" कहलाता है ! संतमत एक स्वाभाविक विज्ञान है! वे संत उस प्रभु जो सबका मालिक है उसकी आज्ञा से इस धरती पर जन्म लेते हैं और आवागमन के बंधन से जकड़े हुए जीवों को "नाम" के अभ्यास द्वारा मुक्ति दिलाना और उस परमधाम वापस ले जाना ही उनका लक्ष्य होता है! पर आज की चकाचौंध भरी जिन्दगी में आत्मिक चेतना प्रदान कर मुक्ति के पथ पर लगाने वाले संत बहुत कम हैं! एक ऐसे ही महान संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज हैं! उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ! बचपन में ही माता पिता का साया छिन गया और बचपन से ही सच्चे गुरु की तलाश में भटकते रहे! 
अंत में उत्तर प्रदेश की इगलास तहसील जिला अलीगढ के गाँव चिरौली में पं. घूरेलाल शर्मा जि से ज्ञान प्राप्त कर साधना में लग गए और सन 1952 से आज तक भी भारत के छोटे छोटे गाँवों से लेकर बड़े बड़े शहरों में जाकर परमार्थ का प्रचार कर सोये हुए जीवों को जगाने का कार्य कर रहे हैं! इन्होने कई करोड़ माया मोह के अन्द्कार में डूबे जीवों को नाम दान देकर अध्यात्मिक चेतना प्रदान की है! 
छोटे बड़े, अमीर गरीब सब इनके चरणों में बैठ, भेदभाव भूल कर इनके सत्संग का लाभ उठाया है! इनका तेजस्वी स्वरुप और प्रभावशाली व्यक्तित्व लोगों को अपने आप ही इनकी ओर खींच लेता है! इनके एक बार का दर्शन भी लोगों को अंतिम समय तक याद रहता है! स्वामी जि अपने सत्संग में सुनाते हैं की हमारी आत्मा, soul ,रूह उस मालिक , जो आनंद , जीवन और शक्ति का सागर है, की एक बूँद है जो करोड़ों युगों पहले अलग हुई और यहाँ दुखी है क्योंकि यह उसका देश नहीं है ! यह जब तक अपने पुरातन घर नहीं लौटती तब तक इसके दुःख पीडाओं का अंत नहीं हो सकता! उस घर का रास्ता ना कहीं बाहर है ना कभी किसी को बाहर मिला है! वह रास्ता तो इसी शरीर रुपी मंदिर से जाता है!
यह मानव मंदिर एक किराए का मकान है और स्वांसों की पूँजी ख़त्म हो जाने पर खाली करना पड़ेगा! केवल ऐसे संत फकीर की जरूरत है जो वहां आता जाता हो! स्वामी जी वह रास्ता जिसे नामदान कहते हैं, भी बताते हैं जिसमे  रोज केवल 1  - 2  घंटे अभ्यास करके हम इसी मानव जीवन में प्रभु का दर्शन दीदार कर सकते हैं और अपने सच्चे धाम अपने घर भी पहुँच सकते हैं !
परमात्मा की प्राप्ति के लिए स्वामी जी द्वारा बताया गया रास्ता वाही है जो ईसा मसीह, कबीर साहिब, पलटू जी, दादू, तुलसी साहिब, मौलाना रूमी, शम्स तब्रेज़, हाफ़िज़, मुजादीद अल फसानी और दुनिया के अन्य संतों ने बताया था! वेदों में इसे ही "अनहद मार्ग" कहा जाता है, मुसलमान फ़कीर इसे "सुलतान-उज-अजकार" कहते हैं और बाइबल में इसी को "word" या "logas" कहा जाता है! भारतीय संत इसे "सुरत शब्द योग" कहते  हैं! 
जय गुरुदेव!